एक पुरानी कहावत है कि चालीस पार का व्यक्ति अपना डाक्टर आप होता है...। मतलब प्रौढ़ वय का होने तक हर व्यक्ति सहज ढ़ंग से स्वास्थ्य के रहस्यों से परिचित हो जाता है। अगर आप चीजों के मूल रूप, रंग, गंध, स्वाद आदि को पहचानते हैं तो आप जीवित हैं, स्वस्थ हैं। अगर आप खिचड़ी अचार पसंद करते हैं तो समझिए कि आप गड़बड़ा रहे हैं। मुंह का स्वाद मर जाने पर ही आदमी मिक्सचर यानि सेव, दालमोट जैसी चीजें पसंद करता है।
वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह लिखते हैं- कभी कभी हमें गेहूं से मिलने मंडियों में नहीं , खेतों में जाना चाहिए तो वे उसी स्वद को जानने की बात कर रहे होते हैं। स्वाद को जानें और उसे बदलते रहें। परिवर्तन स्वास्थ्य का पहला नियम है। अपनी जीवन शैली में आप बदलाव की गुंजाइश हमेशा रखें। परिस्थितियों के अनुसार खुद को नहीं बदल पाने के कारण ही डायनासोर मिट गये। तिलचट्टे बच गए और आदमी भी बच रहा है क्यों कि वह भी तिलचट्टे की तरह सर्वहारा है।
योगासनों में शीर्षासन श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि इसमें आदमी कुछ देर के लिए पैर की बजाय सिर के बल खड़ा हो जाता है। कुछ क्षण के लिए पूर प्रक्रिया को उलट देता है। हीगेल के विचारों को उलट कर ही मार्क्स ने क्रांति कर दी। उपवास भी ऐसा ही बदलाव लाते हैं दैनिक में । वह एक विराम है आपके जीवन में जहां से आप एक नयी पारी की शुरूआत कर सकते हैं। उपवास का मतलब है जीवन की नियमित गति को बाधित करना। एक व्यतिक्रम पैदा करना जिसे जीवन की रूक रही धारा में तेजी आए। उपवास से एक स्व्स्थ व्यक्ति का खून बढ़ जाता है ऐसा जांच में पाया गया है।
हां शहरी गैस के रोगी हो चुके व्यक्ति को उपवास की सलाह नहीं दी जा सकती । उपवास वह भी नहीं है जो आम भारतीय स्त्रियां करती हैं और पारण के तत्काल बाद मन भर तला भुना खा लेती हैं। नतीज खून की जगह चर्बी बढ़ जाती है।
लोग जब गुस्से में होते हैं तो खाना क्यों छोड़ देते हैं? ऐसा कर वे क्या जाहिर
करना चाहते हैं?
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तीसेक साल पहले मैं भी कभी कभार नाराजगी में रात का खाना छोड़ देता था। नराजगी
किसी से भी हो कारण कोई भी हो पर इस तरह की नाराजगी से चिंतित केवल मां होती
थी। अ...
4 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
बहुत रोचक और लाभकारी जानकारी. जुवेनाइल रीमोटाइड अर्थराइट्स के बच्चे के खराब जोड़ जैसे कूल्हे के जोड़ो को बदलने से रोका जा सकता है? क्या होम्योपैथी के इलाज से यह सम्भव है?? अगर इस विषय पर प्रकाश डालें तो आभार होगा.
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