शनिवार, 24 नवंबर 2007

ईर्ष्‍यालु और आपे से बाहर रहने वालों की दवा है - नक्‍स वोमिका

जहां सोरा या कच्‍छुविष निवारक मुख्‍य दवाओं में सल्‍फर महत्‍वपूर्ण है वहीं बहुरोगमुकित्‍कारक दवाओं में नक्‍स की गिनती होती है। बहुत सारी उल्‍टी-पुल्टि दवाओं के दुष्‍प्रभाव को भी नक्‍स दूर करती है। कब्‍ज की भी यह प्रमुख दवा है। नक्‍स के रोगी को भी उसके मानसिक लक्षणों से पहचाना जा सकता है। यह अत्‍यधिक मानसिक श्रम करने वालों की भी दवा है। मानसिक काम की अधिकता और श्रमहीन जीवन बिताने वाले आधुनिकों को नक्‍स काफी मुफीद आती है। यह कुच्‍ला विष से तैयार दवा है। जिसे रात को सोने के पहले लेने से लाभकर होती है।
नक्‍स का रोगी स्‍नायविक ,जल्‍दबाज, चि‍ड़चिड़ा और ईर्ष्‍यालु होता है। मानसिक कार्य की अधिकता से परेशान जो लोग चाय,काफी,तम्‍बाकू या अन्‍य नशे का सेवन करते हुए जब रात-रात भर जगकर काम करने की आदत डालते हैं तो उनमें नक्‍स के लक्षण पैदा हो जाते हैं। नक्‍स को मुख्‍यत: पुरूषों की दवा माना जाता है। संभवत: जिस समय दवा पर शोध हुआ होगा उस समय तक स्त्रियां पुरूषों के मुकाबले आज की तरह काम के क्षेत्र में बढ चढकर भागीदार नहीं थीं इसलिए उनमें नक्‍स के लक्षण कम पाए गए होंगे जिससे इसे पुरूष स्‍व्‍भाव की दवा घोषित कर दिया गया होगा।
नक्‍स रोगी सभी प्रभावों के प्रति असहिष्‍णु होता है। डॉ बोरिक के अनुसार नक्‍स रोगी अभद्र, कपटी और शोरगुल को नपसंद करनेवाला होता है। वह नहीं चाहता कि कोई उसे छुए। उसे लगता है कि समय बीत ही नहीं रहा वह कहीं जाकर ठहर गया है। मामूली रोग की मरीज को असाध्‍य लगता है। दूसरों में मीन मेख निकालने का उनकी निंदा का उसका सव्‍भाव बन जाता है।
नक्‍स का रागी तुलनात्‍मक रूप से ज्‍यादा भावुक हो जाता है । छोटी बातें भी उसे लग जाती हैं। खाली शरीर रहने से नक्‍स रोगी को पेट दर्द का विचित्र लक्षण भी मिलता है। उसे हमेशा ऐसा लगता है कि उसका पेट साफ नहीं हुआ है और फिर से लैट्रिन जाने की जरूरत है यह लक्षण लाइकोपाडियम में भी है। विलासी जीवन जीने वालों के स्‍वप्‍नदोष को भी यह नियंत्रित करता है। स्‍वप्‍नदोष के साथ कमरदर्द भी हो और रात में करवट बदलने में मरीज को कष्‍ट हो तो नक्‍स अच्‍छा काम करती है।
नक्‍स रोगी की नींद रात तीन बजे टूट जाती है और फिर नहीं आती इससे वह परेशान रहता है। नक्‍स रोगी के सपने भी व्‍यस्‍त्‍ता और भागदौड़ के होते हैं। पहली नींद के बाद न जगाये जाने से उसे आराम मिलता है। नक्‍स औरी सल्‍फर परस्‍पर पूरक दवाएं हैं। कब्‍ज लगातार रहने पर अगर वह बवासीर में बदल जाए तो इन दोनों दवाओं को बारी बारी लेने से रोगी ठीक हो जाता है।

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