इन आंखों से बावस्ता अफसाने हजारों हैं ... यह गाना आपने सुना होगा पर इन आखों से जुड़े अफसानों को आप तब पढ़ पाएंगे जब वे स्वस्थ हों। खाने में नमक का प्रयोग उसे स्वादिष्ट बनाता है पर इसका ज्यादा प्रयोग कई बीमारियों का कारक बनाता है। आंख की अधिकांश बीमारियों में नमक कम करने लाभ होते देखा गया है।
आंख से पानी आना, लाली, खुजली आदि कई रोगों को नमक छोड़कर ठीक किया जा सकता है। आंख की बीमारियों में आप सप्ताह भर संभव हो तो नमक छोड़ कर देखें तो इसका लाभ साफ नजर आएगा। नमक की तरह ज्यादा चीनी भी आंखों को नुकसान पहुंचाती है। नमक को नेट्रम म्यूर कहा जाता है इस रूप में यह एक प्रभावशाली बायोकेमिक दवा है। होम्योपैथिक तरीके से नेट्रम म्यूर की सूक्ष्म मात्रा देने से आंखों की बीमारियों में बहुत फायदा होता है। ज्यादा नमक छुड़ाने के लिए भी नेट्रम म्यूर को लाख पोटेंशी में देने की सलाह चिकित्सकर देते हैं।
आंख की सामान्य बीमारियों में गुलाब जल कई सामान्य एलोपैथिक आई ड्राप्स से ज्यादा कारगर होता पाया गया है। यूं होम्योपैथी की प्रसिद्ध दवा कैलेंडुला जिसे गेंदा के फूल के अर्क के रूप में भी जाना जाता है , से बनी दवा भी आंख की सामन्य बीमारियों में आराम पहुंचाती है। कैलेंडुला क्यू की पांच बूंद आधे औंस साफ पानी में मिला कर घर पर भी इसका प्रयोग आंखों को आराम पहुंचाने में किया जा सकता है। इसे आप गुलाब जल की तरह प्रयोग कर सकते हैं।
आंख की कई बीमारियों में जब एलोपैथिक दवा के लगातार प्रयोग से इरिटेशन होने लगे तो बीच में कैलेंडुला मिले जल से आंखें घोने से लाभ होता है। यह उन दवाओं के साइड इफेक्ट को भी कम करती है। कैलेंडुला से बनी क्रीम जले-कटे के घावों को जिस तरह ठीक करती है वह भी आश्चर्यजनक है।
भोजन में नमक चीनी की अधिकता से मोतियाबिंद होता है। ज्यादा नमक से आंखों का लेंस सूख जाता है और ज्यादा चूना युक्त कठोर जल के प्रयोग से भी मोतियाबिंद होता है। आंख आने की सामान्य बीमारी जब तब फैलती रहती है ऐसे में होम्यो दवा पल्साटिल्ला 200 की कुछ गोलियों का प्रयोग चमत्कारी असर करती है। इससे अगर घर में किसी को आंख्ा आ गयी हो तो वह दूसरे को नहीं फैलती है और अगर हो जाए तो बढती नहीं है। इसे सुरक्षात्मक रूप से भी वैसी स्थिति में लिया जा सकता है। साफ पानी में आंखों को डुबोने से भी जलन आदि में आराम पहुंचता है।
लोग जब गुस्से में होते हैं तो खाना क्यों छोड़ देते हैं? ऐसा कर वे क्या जाहिर
करना चाहते हैं?
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तीसेक साल पहले मैं भी कभी कभार नाराजगी में रात का खाना छोड़ देता था। नराजगी
किसी से भी हो कारण कोई भी हो पर इस तरह की नाराजगी से चिंतित केवल मां होती
थी। अ...
4 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
अच्छी सूचना है
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