शुक्रवार, 18 अप्रैल 2008

आ अब लौट चलें - कुमार मुकुल

जब घर की याद सताए

होमियोपैथी में किसी रोग विशेष का इलाज नहीं कियाजाता बल्कि इसमें रोगी के लक्षणों के आधार पर दवा का चुनाव किया जाता है। फिर वैसे ही लक्षण पैदा करनेवाली दवा की खुराकें देकर उस लक्ष‍ण को दूर किया जाता है। इस तरह रोग भी जड़ से दूर हो जाता है। आयुर्वेद की तरह होमियोपैथी में भी इलाज `टिट फॉर टैट´ (जैसे को तैसा) के सिद्धान्त पर होता है, जिसे हमारे यहा¡ `विष: विषस्य औषधम´ का सिद्धान्त भी कहा जाता है। पर जहां आयुर्वेद में खुराक थोड़ी मोटी होती है, वहीं होमियोपैथी में सूक्ष्म खुराकें देकर रोगी को स्वस्थ किया जाता है।
होमियोपैथी में माना जाता है कि पहले किसी भी व्यक्ति में आई गड़बड़ी अपने मनोवैज्ञानिक लक्षण प्रकट करती है। फिर यही लक्षण, जब दवा दिए जाते हैं, तो कई तरह के विकार पैदा होते हैं। या ये मनोवैज्ञानिक लक्षण भी समय के दबाव में बदलते रहते हैं।
ऐसे में बदलते लक्षणों के अनुसार होमियोपैथ दवाओं में परिवर्तन कर उसे दूर करते हैं।
अब अगर आज अपने गांव-घर से दूर कहीं विदेश में आप फंसे हैं, और आपमें घर लौट चलने की इच्छा प्रबल हो रही हो, तो इसे भी होमियोपैथी में एक लक्षण माना जाएगा और इसका इलाज कर आपको संभावित बीमारियों से बचाया जाएगा।
ऐसे लड़के-लड़कियों के लिए जो पढ़ाई के लिए हॉस्टल में डाल दिए गए हों, और वहां उनका मन नहीं लग रहा हो, घर की याद सता रही हो, वे घर भाग जाना चाहते हों, तो उन्हें कैपसिकम-6 की कुछ खुराकें रोज दीजिए। उनका घर वापसी का विचार इससे थमेगा और वे पढ़ाई में मन लगा सकेंगे। ऐसे रोगियों के गाल लाल होते हैं और घर की याद में उन्हें नींद नहीं आती।
पर किसी रोगी में होम सिकनेस हो और घर की याद करते वक्त उस पर एक अनाम उदासी तारी हो जाती हो, ऐसे में आप मर्क सोल-30 को याद कर सकते हैं। ऐसे लोगों में घर को लेकर एक नॉस्टेल्जिया विकसित हो जाता है, जिसे यह दवा दूर कर रोगी को सामान्य होने में मदद करती है।
घर की याद में अगर कोई रोगी अपने आवेगों को संभाल नहीं पाता हो और रोने लगता हो, तो ऐसे लड़के या लड़की को मैग्निशिया म्यूर-200 की एक खुराक तीसरे दिन दिया करें। उसका रोना-धोना घट जाएगा।
पर घर की याद में अगर मन-मस्तिष्क पर दबाव ज्यादा पड़े और परिणामत: उसकी भूख ही मारी जाए, तब आप एसिड फॉस की पहली पोटेंसी का प्रयोग कर सकते हैं या किसी भी रोग में अगर घर लौटने की इच्छा प्रबल हो, तो आप उसे इस दवा से ठीक कर सकते हैं।

सोमवार, 14 अप्रैल 2008

गैस भी हृदय रोग का कारण बन सकता है - कुमार मुकुल

पेट में गैस बनने से कई तरह की परेशानिया¡ पैदा होती हैं। सिर दर्द, पेट दर्द से लेकर हृदय दर्द तक के मूल में पेट में गैस का बनना हो सकता है। एक हृदय रोगी छाती में दर्द से परेशान थे। वे डीएमसीएच और एम्स में अपना इलाज करा रहे थे। साल भर पहले उन्हें हृदय रोग ने परेशान किया था। तब वह आरिम्भक अवस्था में था और एम्स (दिल्ली) में इलाज के बाद नार्मल हो गया था। इधर फिर जब दर्द हुआ और जांच हुई तो हृदय स्वस्थ पाया गया और दर्द का कारण शान्त नहीं किया जा सका।
रोगी की जब मुझसे भेंट हुई, तो मैंने लक्षणों के आधार पर उन्हें जैल्सीमियम 30 और कैक्‍टस 30 दिया। उनकी बीमारी थी कि मोटरसाइकिल पर बाहर घूमते-फिरते रहने पर वे स्वस्थ रहते हैं, पर घर में आते ही चक्कर और दर्द बढ़ जाता है। हृदय में जकड़ने के लक्षण भी थे। इन दो दवाओं से स्थिति नियंत्रण में आ गई। पर अब भी दर्द जा नहीं रहा था। फिर मेरा ध्‍यान कार्बोवेज पर गया। इसमें था कि गैस के कारण हर्ट पर दबाव बढ़ जाता है। और परेशानी बढ़ जाती है। तब रोगी को कार्बोवेज 30 दिया गया। इससे स्थिति काबू में आ गई। आगे एम्स में भी चिकित्सक इसी नतीजे पर पहुंचे कि उनका हर्ट स्वस्थ है और दर्द का कारण कहीं पेट में है। तब कारण पता करने के लिए रोगी का बेरियम टेस्ट किया गया। इस टेस्ट में रोग का कारण गैस ही निकला।
गैस से हुई परेशानी में अगर हम शरीर के हिस्सों को ध्‍यान में रखें, तो तीन दवाओं से रोग का निराकरण किया जा सकता है। अगर गैस के चलते पूरे पेट में ऊपर पसली से लेकर नीचे बड़ी आंत तक परेशानी हो, तो रोगी को चायना दी जा सकती है। ऐसे में अगर रोगी पतला हो और उसे कमजोरी से चक्कर आते हों, तो उसे चायना 6 की दस बूंदें सुबह व शाम कुछ सप्ताह दी जानी चाहिए।
पर अगर गैस के चलते परेशानी पेट के निचले हिस्से में हो और दबाव बड़ी आंत पर ज्यादा हो, तो लाइकोपोडियम 30 से उसका उपचार किया जा सकता है। पेट अगर साफ नहीं होता हो और आपको कई बार पाखाना जाना पड़ता हो, तो इसमें भी लाड़ को कम करता है। ऐसे में नक्स वोमिका भी काम करती है और आप लक्षणों के आधार पर उनसे कोई दवा चुन सकते हैं।
गैस का दबाव अगर केवल छाती के ऊपरी क्षेत्रा में हो और पसली के नीचे दबाव ज्यादा हो और हृदय का भी दबाव पड़ रहा हो, तो आप कार्बोवेज का प्रयोग कर सकते हैं। लाइको की तरह कार्बोवेज भी गहरा असर करनेवाली दवा है।
गैस में इन दवाओं के साथ आपको खान-पान पर ज्यादा ध्‍यान देना होगा। एक सलाह जो आम है कि आप सुबह में मुंह धो‍कर एक गिलास सत्तू जरूर पी लें। चाय आप कम पीएं और तला हुआ न खाएं।