खुजली को सामान्यत: एक भद्दी पर आसान बीमारी माना जाता है। पर एक तरह से यह रोगों की दुनिया में पहला कदम होता है। पहले आदमी को मानसिक खुजली होती है, यानी बेचैनी होती है। फिर वह शारीरिक खुजली का रूप ले लेती है।
खुजली दरअसल आपके विकारों को त्वचा के माध्यम से बाहर करने का शरीर का प्रारिम्भक तरीका है-जब मल-मूत्र पसीने के रास्ते शरीर अपनी गन्दगी को बाहर करने में असमर्थ होता जाता है, तब वह उसको त्वचा पर स्फोट के रूप में बाहर करता है।
सामान्यत: लोग खुजली होने पर दूरदर्शनी विज्ञापनों में प्रचारित दवाओं का सहारा ले उसे दबा देना चाहते हैं। कई बार आसानी से डेरोबिन, बी-टेक्स जैसे मलहम उसे ऊपर से ठीक भी कर देते हैं। ऐसे में या तो वह फिर त्वचा पर दूसरी जगह उभरता है या फिर त्वचा की ओर हो रहे दूषित द्रव को ये दवाएं भीतर से अन्य अंगों की ओर मोड़ देती हैं।
अब यह द्रव जिस अंग को अपना केन्द्र बनाता है, उस अंग को ये क्षति पहुंचाते हैं और उसे किसी रोग का नाम दे दिया जाता है। फेफड़े की ओर का रुख हो जाता है, तो टीवी होती है। जोड़ों की ओर हुआ, तो उसे गठिया पुकारा जाता है। हृदय की ओर हुआ, तो उसे हृदय रोग कहा जाता है। इसी तरह जिस अंग को यह द्रव दूषित करता है, उसे एक रोग का नाम मिल जाता है। आंखों की ओर होता है, तो गुहौरी या आंखों से कीच अपने, लाली रहने की बीमारी हो जाती है। ये सभी जीर्ण काटि के रोग होते हैं।
यहां भी स्थिति संभाली जा सकती है और उचित दवा के प्रयोग से उसे रोका जा सकता है। पर इस स्थिति के बाद आप हमेशा स्वस्थ रहने के लिए किसी दवा के मोहताज हो जाते हैं।
पर इस स्थिति में भी सही इलाज न हो, तो कैंसर जैसी असाध्य बीमारी की चपेट में आप आने लगते हैं।
कैंसर कभी भी अचानक नहीं हो जाता। जैसा कि कहा जाता है कि कोई आदमी पान-बीड़ी कुछ भी नहीं लेता या साधु था, उसे कैंसर हो गया। पर आप पता करेंगे कि उसे पहले कई छोटी बीमारियां रही होंगी, जिन्हें वह अज्ञानवश दबाता चला गया होगा।
कई बार खुजली का कारण पेट में या शरीर में पैदा हो गए कृमि (कीड़े) भी होते हैं। ऐसे में खुजली की जगह पर लवेंडर आयल का एकाध सप्ताह प्रयोग किया जा सकता है। इसके बाद उचित दवा लेनी पड़ती है।
लोग जब गुस्से में होते हैं तो खाना क्यों छोड़ देते हैं? ऐसा कर वे क्या जाहिर
करना चाहते हैं?
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तीसेक साल पहले मैं भी कभी कभार नाराजगी में रात का खाना छोड़ देता था। नराजगी
किसी से भी हो कारण कोई भी हो पर इस तरह की नाराजगी से चिंतित केवल मां होती
थी। अ...
4 वर्ष पहले
6 टिप्पणियां:
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
पर अन्त में कुछ होमियोपैथिक उपचार या सलाह लिखना भूल गये क्या? कुछ तो लिखना था?
बहुत काम की जानकारी आपने दी है। आपके ब्लॉग के लिए शुभकामनाएं।
kabhii vistaar si psora syphlis aur sycosis ke baare mein batayein badi meharbani hogii. homeopathy kii jankaarii dene ke liye dhanyabaad
मेरा बेटा 5 वर्ष का हैं उसकों अक्सर खांसी की समस्या रहती है और रात में सोते समय दांत किटकिटाने की समस्या भी काफी दिन से हैं । खांसी के लिए मैं उसकों एक्यूनाइट 30 देता हूं । पर दांत वाली समस्या के लिए क्या करू।
कमल जी आपके बेटे को सिना 30, की जरूरत है उसके पेट में कीडा हो संभवतया। विस्तार से इस मेल kumarmukul07@gmail.com, पर लिखें, नजदीक के किसी चिकित्सक की सलाह से ही दवा लें।
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