दांद दर्द में या तो दांतों की जड़ अंदर से सड़ जाती है या वह गलने लगती है और अक्लदाढ़ में खोडरे या गड्ढे बनने लगते हैं। इनमें जब फंस कर अन्न के टुकड़े सड़ने लगते हैं तो कई तरह की परेशानियां पैदा होती हैं। एलोपैथ अक्सर खोडरे को सोना चांदी या पत्थर के पेस्ट से भर देते हैं। कई बार दांत भरवाने के बाद भी दर्द बना रहता है ऐसे रोगी अगर होम्यो दवा आर्निका 30 लें तो उन्हें काफी आराम मिलता है।
मर्कसाल दांद दर्द की प्रमुख दवा है इसे मुंह की अधिकांश बीमारियों को दूर करने वाली दवा के रूप में भी जाना जाता है। अगर दांत का बाहर का हिस्सा सड़ जाए, मुंह में लार ज्यादा बनने लगे, प्यास बढ़ जाए और दांत ज्यादा लंबे महसूस हों व अक्सर दांत का दर्द रात में उभरे तो आप मर्कसाल की कुछ गोलियां दो तीन बार दिन में लेकर आराम पा सकते हैं।
पर अगर बीमारी दांत के उपरी हिस्से में ना होकर उसकी जड़ में हो और चाय या ठंडा पानी दांत में लगे तो दर्द हो या मसूड़ों में सूजन हो तो थूजा 30 से उसका शमन किया जा सकता है।
अक्सर लोग दांत दर्द पुराना पड़ने पर चिकित्सक के पास जाते हैं। पर अगर इन दो दवाओं का प्रयोग आरंभ में किया जाए तो लंबे समय तक दांत उखड़वाने से बचा जा सकता है। मिले जुले लक्षण होने पर आप इन दोनों दवाओं का प्रयोग बारी बारी से सप्ताह भर के अंतर पर कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
अगर दांत काले होकर खुरदरे होते जाएं और झड़ने लगें उनमें दर्द होने लगे तो ऐसे क्रियोजाट 30 या 200 को अच्छा काम करते देखा गया है। दांत दर्द में अगर गर्म पानी से आराम हो तो कमामिला और ठंडे पानी से आराम हो तो काफिया से आराम मिलता है। दांत उपर से ठीक दिखें और खाना खाने बाद दर्द हो तो ऐसे में स्पाइजेलिया का प्रयोग किया जा सकता है।
क्या तुमने कभी मरने का अनुभव किया है?
-
कोई मरने का अनुभव कैसे कर सकता है। क्योंकि मरना जीवन का नष्ट होना है
जिसके बाद उसके बारे में बताने को कोई वापस नहीं आता।
ऐसा कहा जाता है कि सायनाइड जहर ...
5 वर्ष पहले
1 टिप्पणी:
बहुत अच्छा लगा मै प्रक्टिस में देखूँगा.
एक टिप्पणी भेजें