शुक्रवार, 2 मई 2008
पगला कहीं का - कुमार मुकुल
जब कोई प्यार से आपके गाल थपथपाता हुआ कहता है, पगला कहीं का, तो आप उसे स्नेह की अभिव्यक्ति मानते हैं। पर आपकी किसी क्रिया पर आपका संगी अचानक चिल्ला कर कहे कि पगला गए हो क्या, तो आपको विचार करना चाहिए कि कहीं आपका नर्वस सिस्टम उत्तेजित तो नहीं हो रहा।
मस्तिष्क और उसके स्नायु मंडल में जब किसी कारण उत्तेजना पैदा होती है, तब आदमी अपने होश खाने लगता है। पहले तो वह प्रलाप की अवस्था में जाता है, फिर कभी ह¡सना, अकारण रोना, दा¡त काटते दौड़ना आदि क्रिया करने लगता है। ऐसे में उसे लक्षणों के हिसाब से अगर होमियोपैथी दवा दी जाए, तो उसे का¡के और आगरा जाने से बचाया जा सकता है। पागलपन की ऐसी अवस्था में बेलाडोना हायोसायमस और स्ट्रैमोनियम को लक्षणों के हिसाब से दिया जाना चाहिए। डॉण् नैश इन तीनों दवाओं को पागलपन की मुख्य प्राथमिक दवा मानते हैं। किसी भी बीमारी में अप्रत्याशित तेजी के लिए बेलाडोना को याद किया जाता है। अगर रोगी हर काम बहुत तेजी से करे, अचानक अपना गला दबाने की कोशिश करे, या सामनेवाले को अपनी हत्या करने को कहे, खाना खाने की जगह प्लेट-चम्मच चबाने की कोशिश करे, तो ऐसे में बेलाडोना 30 की कुछ खुराकें उसे नियंत्रित कर सकती हैं। रोगी की आ¡खें लाल हों और वह एक जगह नजर गड़ा कर देखता हो, अपने कपड़े फाड़ डालता हो और किसी के द्वारा माने जाने के काल्पनिक भय से इधर-उधर भागता हो, तो ऐसे में बेलाडोना ही काम करता है।
पागलपन का रोगी अगर उतना हिंसक न हो, बल्कि उनके मनोविकार ज्यादा प्रकट हो रहे हों, जैसे अकारण ह¡सना, गाना, बेहूदी बातें करना, उड़ने का अनुभव करना आदि, तो ऐसे में हायोसायमस 30 की कुछ खुराकें उसे नियंत्रिात कर सकती हैं। हायोसायमस के मूलार्क के कुछ चम्मच पी लेने से स्वस्थ आदमी में भी ये लक्षण उभर सकते हैं।
पर विकट पागलपन की दवा है स्ट्रोमोनियम। इसमें रोगी की बकवास की प्रवृत्ति ऊपर की दोनों दवा से ज्यादा होती है। स्ट्रेमो रोगी अ¡धेरे से डरता है जबकि बेला का रोगी अ¡धेरा पसन्द करता है। स्ट्रेमो रोगी बेला के विपरीत अकेला रहना नहीं चाहता है।
अगर रोगी आत्महत्या के इरादे से भाग जाने की फिराक में रहता हो और इसमें बाधक बननेवाले की हत्याकरने की बात करता हो, तो ऐसे में मेलिलोटस 6 की कुछ खुराकें उसे शान्त करती है। मेलि रोगी को लगता है कि उसके पेट में कुछ गड़बड़ है। उसमें भूत बैठा है। पर रोगी पागल हो जाने की आशंका खुद व्यक्त करता हो या उसका समय जल्दी नहीं बीतता प्रतीत होता हो या अपना रास्ता उसे अनावश्यक लम्बा लगता हो, तो ऐसे में भुलक्कड़ रोगी को कैनेबिस इंडिका का मूलार्क या 6 पावर की दवा लेनी चाहिए। अगर किसी को लगे कि वह बहुत धनी हो और अपने नए कपड़े भी वह जोश में फाड़ डाले या पुराने कपड़े में खुद को राजा महसूस करे, तो उसे सल्फर-1 एम की एक खुराक देकर देखें।
मस्तिष्क और उसके स्नायु मंडल में जब किसी कारण उत्तेजना पैदा होती है, तब आदमी अपने होश खाने लगता है। पहले तो वह प्रलाप की अवस्था में जाता है, फिर कभी ह¡सना, अकारण रोना, दा¡त काटते दौड़ना आदि क्रिया करने लगता है। ऐसे में उसे लक्षणों के हिसाब से अगर होमियोपैथी दवा दी जाए, तो उसे का¡के और आगरा जाने से बचाया जा सकता है। पागलपन की ऐसी अवस्था में बेलाडोना हायोसायमस और स्ट्रैमोनियम को लक्षणों के हिसाब से दिया जाना चाहिए। डॉण् नैश इन तीनों दवाओं को पागलपन की मुख्य प्राथमिक दवा मानते हैं। किसी भी बीमारी में अप्रत्याशित तेजी के लिए बेलाडोना को याद किया जाता है। अगर रोगी हर काम बहुत तेजी से करे, अचानक अपना गला दबाने की कोशिश करे, या सामनेवाले को अपनी हत्या करने को कहे, खाना खाने की जगह प्लेट-चम्मच चबाने की कोशिश करे, तो ऐसे में बेलाडोना 30 की कुछ खुराकें उसे नियंत्रित कर सकती हैं। रोगी की आ¡खें लाल हों और वह एक जगह नजर गड़ा कर देखता हो, अपने कपड़े फाड़ डालता हो और किसी के द्वारा माने जाने के काल्पनिक भय से इधर-उधर भागता हो, तो ऐसे में बेलाडोना ही काम करता है।
पागलपन का रोगी अगर उतना हिंसक न हो, बल्कि उनके मनोविकार ज्यादा प्रकट हो रहे हों, जैसे अकारण ह¡सना, गाना, बेहूदी बातें करना, उड़ने का अनुभव करना आदि, तो ऐसे में हायोसायमस 30 की कुछ खुराकें उसे नियंत्रिात कर सकती हैं। हायोसायमस के मूलार्क के कुछ चम्मच पी लेने से स्वस्थ आदमी में भी ये लक्षण उभर सकते हैं।
पर विकट पागलपन की दवा है स्ट्रोमोनियम। इसमें रोगी की बकवास की प्रवृत्ति ऊपर की दोनों दवा से ज्यादा होती है। स्ट्रेमो रोगी अ¡धेरे से डरता है जबकि बेला का रोगी अ¡धेरा पसन्द करता है। स्ट्रेमो रोगी बेला के विपरीत अकेला रहना नहीं चाहता है।
अगर रोगी आत्महत्या के इरादे से भाग जाने की फिराक में रहता हो और इसमें बाधक बननेवाले की हत्याकरने की बात करता हो, तो ऐसे में मेलिलोटस 6 की कुछ खुराकें उसे शान्त करती है। मेलि रोगी को लगता है कि उसके पेट में कुछ गड़बड़ है। उसमें भूत बैठा है। पर रोगी पागल हो जाने की आशंका खुद व्यक्त करता हो या उसका समय जल्दी नहीं बीतता प्रतीत होता हो या अपना रास्ता उसे अनावश्यक लम्बा लगता हो, तो ऐसे में भुलक्कड़ रोगी को कैनेबिस इंडिका का मूलार्क या 6 पावर की दवा लेनी चाहिए। अगर किसी को लगे कि वह बहुत धनी हो और अपने नए कपड़े भी वह जोश में फाड़ डाले या पुराने कपड़े में खुद को राजा महसूस करे, तो उसे सल्फर-1 एम की एक खुराक देकर देखें।
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1 टिप्पणी:
अकड़न तथा भटकन रहे स्पंदन कहीं होता रहे।
या अचानक दर्द होकर फिर चला जाता रहे।।
तन ढांकन पर ही अगर आराम होता हो कहीं।
ढँक जाय कोई अंग तो होता पसीना हो वहीं।।
ज्वर भोग से या धूप से उत्प्त रोगी हो जहॉं।
दर्द, सूजन, लालिमा, प्रत्यक्ष दिखलाये वहॉं।।
ताप अरू उद्विग्न्ता के साथ यदि उन्माद हो।
”बेलाडोना” को दिये तत्काल ही आन्नद हो।।
http://newscast.co.in/homeopathic-geetawali-2
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