जब घर की याद सताए
होमियोपैथी में किसी रोग विशेष का इलाज नहीं कियाजाता बल्कि इसमें रोगी के लक्षणों के आधार पर दवा का चुनाव किया जाता है। फिर वैसे ही लक्षण पैदा करनेवाली दवा की खुराकें देकर उस लक्षण को दूर किया जाता है। इस तरह रोग भी जड़ से दूर हो जाता है। आयुर्वेद की तरह होमियोपैथी में भी इलाज `टिट फॉर टैट´ (जैसे को तैसा) के सिद्धान्त पर होता है, जिसे हमारे यहा¡ `विष: विषस्य औषधम´ का सिद्धान्त भी कहा जाता है। पर जहां आयुर्वेद में खुराक थोड़ी मोटी होती है, वहीं होमियोपैथी में सूक्ष्म खुराकें देकर रोगी को स्वस्थ किया जाता है।
होमियोपैथी में माना जाता है कि पहले किसी भी व्यक्ति में आई गड़बड़ी अपने मनोवैज्ञानिक लक्षण प्रकट करती है। फिर यही लक्षण, जब दवा दिए जाते हैं, तो कई तरह के विकार पैदा होते हैं। या ये मनोवैज्ञानिक लक्षण भी समय के दबाव में बदलते रहते हैं।
ऐसे में बदलते लक्षणों के अनुसार होमियोपैथ दवाओं में परिवर्तन कर उसे दूर करते हैं।
अब अगर आज अपने गांव-घर से दूर कहीं विदेश में आप फंसे हैं, और आपमें घर लौट चलने की इच्छा प्रबल हो रही हो, तो इसे भी होमियोपैथी में एक लक्षण माना जाएगा और इसका इलाज कर आपको संभावित बीमारियों से बचाया जाएगा।
ऐसे लड़के-लड़कियों के लिए जो पढ़ाई के लिए हॉस्टल में डाल दिए गए हों, और वहां उनका मन नहीं लग रहा हो, घर की याद सता रही हो, वे घर भाग जाना चाहते हों, तो उन्हें कैपसिकम-6 की कुछ खुराकें रोज दीजिए। उनका घर वापसी का विचार इससे थमेगा और वे पढ़ाई में मन लगा सकेंगे। ऐसे रोगियों के गाल लाल होते हैं और घर की याद में उन्हें नींद नहीं आती।
पर किसी रोगी में होम सिकनेस हो और घर की याद करते वक्त उस पर एक अनाम उदासी तारी हो जाती हो, ऐसे में आप मर्क सोल-30 को याद कर सकते हैं। ऐसे लोगों में घर को लेकर एक नॉस्टेल्जिया विकसित हो जाता है, जिसे यह दवा दूर कर रोगी को सामान्य होने में मदद करती है।
घर की याद में अगर कोई रोगी अपने आवेगों को संभाल नहीं पाता हो और रोने लगता हो, तो ऐसे लड़के या लड़की को मैग्निशिया म्यूर-200 की एक खुराक तीसरे दिन दिया करें। उसका रोना-धोना घट जाएगा।
पर घर की याद में अगर मन-मस्तिष्क पर दबाव ज्यादा पड़े और परिणामत: उसकी भूख ही मारी जाए, तब आप एसिड फॉस की पहली पोटेंसी का प्रयोग कर सकते हैं या किसी भी रोग में अगर घर लौटने की इच्छा प्रबल हो, तो आप उसे इस दवा से ठीक कर सकते हैं।
क्या तुमने कभी मरने का अनुभव किया है?
-
कोई मरने का अनुभव कैसे कर सकता है। क्योंकि मरना जीवन का नष्ट होना है
जिसके बाद उसके बारे में बताने को कोई वापस नहीं आता।
ऐसा कहा जाता है कि सायनाइड जहर ...
4 वर्ष पहले