शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

आश्‍चर्यजनक रूप से तीसरे दिन लडकी का मेन्‍स चालू

हैदराबाद स्‍टार फीचर्स में जब मैं हिन्‍दी का एडीटर था तब वहां साथ एक चित्रकार काम करते थे। जब उन्‍होंने जाना कि मैं कुछ होम्‍योपैथी जानता हूं तो एक दिन उन्‍होंने अपनी समस्‍याएं बतायीं। समस्‍या उनकी पत्‍नी और बेटी को लेकर थी। बेटी को लेकर उन्‍होंने बताया कि एक बार मेन्‍स के बाद उसका मेन्‍स रूक गया है और काफी जांच पडताल के बाद अंग्रेजी में डाक्‍टर उसके लिए आपरेशन बता रहे हैं उसके पहले वे बहुत सी दवा खिला चुके हैं , क्‍या होम्‍योपैथी में कुछ है इसके लिए। भीतर से मैं घबरा गया कि क्‍या किया जाए पर फिर मैंने पूछताछ की।
मामला जटिल था पर जो एक बात मेरा ध्‍यान अटका रही थी वह यह थी कि एक बार मेन्‍स होकर फिर रास्‍ता बंद है जिसे आपरेट करने की बात है। तो मुझे लगा कि अगर एक बार रास्‍ता बन चुका है तो संभवत: दवाएं काम कर जाएं। तो मैंने पूछ ताछ की तो पता चला कि लडकी नमक ज्‍यादा खाती है और अन्‍य बातों को देखकर मैंने नेट्रम म्‍यूर 6 उसे खाने को कहा। बीस दिन खाने के बाद मित्र ने कहा दवा तो खा रह है वह लगातार पर अभी कोई फायदा नहीं दिखता। तब मैंने उसे पूरक दवा पल्‍साटिला 1 एम की एक खुराक लेने को कहा।
आश्‍चर्यजनक रूप से तीसरे दिन लडकी का मेन्‍स चालू हो गया। और मैंने खुद को आश्‍वसत किया।

गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

कुछ लोग जिनके आरोग्‍य में मदद मिली होम्‍योपैथी से

राजूरंजन प्रसाद - पटना

राजू मेरे अभिन्‍न मित्रों में हैं, हमारी दोस्‍ती के अब दो दशक होने को हैं वे मेरे पडोसी भी हैं। गहरी दोस्‍ती के बावजूद होम्‍योपैथी पर उनका विश्‍वास नहीं था। जबकि उनके ससुर होम्‍योपैथी में ही हर मर्ज की दवा ढूंढ लेते हैं। अब भी अगर मैं पटना जाता हूं तो सबसे पहले राजूजी से ही मिलता हूं और हर मुलाकात में उनके ससुर के पास किसी ना किसी मामले में होम्‍योदवा के बारे में पूछने को कुछ ना कुछ रहता है।
राजूजी से दोस्‍ती के तब पांचेक साल हुए थे और वे सिरदर्द से परेशान रहते थे सालों से और पेन कीलर की मात्रा बढती जा रही थी उनके खाते में स्थिति में अंतर नहीं पड रहा था तो अब कैट स्‍कैन की बारी थी तो मैंन टहलते हुए उनसे कहा कि जो इलाज करा रहे हैं वह कराइए पर एका बार होम्‍यो दवा भी ले कर देखिए। परेशानी बढी तो वे विचार करने को राजी हुए। मैंने उनके तमाम लक्षण लिखे। जिससे जाहिर हुआ कि यह सब कफ नही निकलने से हो रहा है और डाक्‍टर आपरेट कर कफ से जाम रास्‍ते को साफ करने की बात कर रहे हैं इसी के लिए कैट स्‍कैन होना है।
उनकी खान पान आदि की बातें जानकर मैंने जब दवाएं छांटीं तो अंत में दो दवा बची - पल्‍साटिला और कैल्‍के कार्ब, अब होम्‍यो सिद्धांत के अनुसार अब इसमें एक दवा चुननी थी।
सारे लक्षण दोनों दवा के मिल रहे थे राजू से पर एक बात थी जो पूछनी बाकी थी , मैंने पूछा कि आपको खुली हवा पसंद है या आप बंद कमरे में रहने में असुविधा महसूस नहीं करते। राजू ने बताया कि वे खुली हवा पसंद करते हैं। बस इस पर दवा का चुनाव कर लिया मैंने। पल्‍साटिला। 200 पावर में एक दो खुराक में ही उनको राहत मिली और वे आपरेशन से बच गए। उसके बाद से राजू जी और उनका परिवार होम्‍योपैथी की दवाएं आम तौर पर लेने लगे।
उनकी पत्‍नी तब बहुत दुबली पतली थीं और उनकी परेशानी थी कि कमजोरी से उन्‍हें चक्‍कर आता है , यह सुनकर मुझे पढा हआ याद आ गया कि अगर कोई मरीज आपके पास अपनी परेशानी लेकर आए और कहे कि उसे कमजोरी से चक्‍कर आ रहा है तो पहले चायना 6 की एक फाइल खाकर आने को कहिए। चायना ने उन्‍हें बहुत फायदा किया। और उनके लिए तब से मैं बडा डाक्‍टर बन गया।
इसी तरह उनके बेटे को जो अब कद्दावर हो गया है तब स्‍कूल जाने के समय पेट दर्द हो जाया करता था। उसे मैंने कैल्‍के फॉस दी और उससे उसकी यह परेशानी जाती रही।